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जो हवा में है / उमाशंकर तिवारी
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17:32, 10 सितम्बर 2009
जिन्दगी के रू ब रू चलना
रोशनी का हमसफर होना
उम्र की कन्दील
क
का
जलना
आग जो जलते सफ़र में है
क्यों नहीं वह बात मुझमें है।
रोज सूरज की तरह उगना
शिखर पर चढ़ना, उतर जाना
घाटियों पर रंग भर जाना
फिर सुरंगों से गुजर जाना
जो हँसी कच्ची उमर में है
क्यों नहीं वह बात मुझमें है।
</poem>
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