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हाइकु / ज्ञानेन्द्रपति

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|रचनाकार=ज्ञानेन्द्रपति
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(1)
देवता हुए
सामंत सहायक
राजतंत्र में
(2)
मिटता नहीं
सिरजा जाता जिसे
एक बार
(3)
गाते न दिखा
सुना गया हमेशा
काला झींगुर
(4)
नाम दुलारी
दुखों की दुलारी है
जमादारिन
(5)
पनही नहीं
पाँव में, गले में
पगहा है भारी
(6)
मेघ बोझिल
मन भर मौसम
छूटा अकेला
</poem>
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