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आके क़ासिद ने कहा जो, वही अक्सर निकला / आरज़ू लखनवी
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10:33, 12 सितम्बर 2009
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नामाबर समझे थे हम, वह तो पयम्बर निकला॥
बाएगुरबत
बाएगु़रबत
कि
हुइ
हुई
जिसके लिए खाना-खराब।
सुनके आवाज़ भी घर से न वह बाहर निकला॥
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चंद्र मौलेश्वर
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