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बरसात-2 / अवतार एनगिल

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<poem>अबके कैसी बरखा आई
कि छत पर बरसता लम्बा सावन
अपना सारा वेग
भादो के कन्धे पर बहा गया
और कमरे के सैलाब में
बचाते रहे हम
यादों की पोटलियां।
</poem>
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