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{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल; तीन डग कविता /अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>मनखान ने 'तापती' से कहा---
हे सूर्यपुत्री! तुम्हारी साड़ी अगले माह सही
इस महीने हंसा के जूते ले देते हैं
वह नन्हें जगमग जूतों की जोड़ी
अपनी जेब से बड़ी.....
दुकानदार का कीमती वक्त गंवाने के गिल्ट अपराध से
बचने के लिए
उसने बच्चे के लिए