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शब्द संस्कृति / अवतार एनगिल

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|रचनाकार=अवतार एनगिल
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}}
<poem>अभी-अभी
महामहिम ने
संस्कृति उगली


कवि ने
आगे बढ़कर
उसे रुमाल पर लिया
और तुकबन्दी के पीकदान में
सहेज लिया

शब्द हे !
क्या तुम सचमुच ढल गये
एक बार
फि---र
हमें छल गये।</poem>
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