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वह / अवतार एनगिल
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08:03, 6 नवम्बर 2009
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}
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{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल
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{{KKCatKavita}}
<poem>वह----
हर् सुबह
मुंह-अंधेरे
और बहते हुए पानी पर
चुपके से रोती है
वह----
छोटी-छोटी प्रार्थनाएं करती रहती है
कि निगोड़ी बिजली न चली जाए
ठीक उस समय
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