भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल }} <poem>...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल
}}
<poem>अब नहीं छलता
कोई स्वर्ण मृग
किसी वनवासिनी सीता को
और
न की मूर्छित होता है
कोई राजकुमार
किसी अप्सरा के कटाक्ष से
घायल होकर
अब नहीं करता विचलित
किसी प्रवासी हंस का घाव
सिद्धार्थ को
हादसे अब हमें नहीं तोड़ते
और न ही करती है हैरान
अपनों की कृत्घन तिरछी आंख
स्वर्ण मृग का छल
मूर्च्छा की मरीचिका विचलित वैराग्य
और हादसों की टूटन को
अब हमने
अलविदा कह दी है।</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल
}}
<poem>अब नहीं छलता
कोई स्वर्ण मृग
किसी वनवासिनी सीता को
और
न की मूर्छित होता है
कोई राजकुमार
किसी अप्सरा के कटाक्ष से
घायल होकर
अब नहीं करता विचलित
किसी प्रवासी हंस का घाव
सिद्धार्थ को
हादसे अब हमें नहीं तोड़ते
और न ही करती है हैरान
अपनों की कृत्घन तिरछी आंख
स्वर्ण मृग का छल
मूर्च्छा की मरीचिका विचलित वैराग्य
और हादसों की टूटन को
अब हमने
अलविदा कह दी है।</poem>