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बादल राग -1
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झूम-झूम मृदु गरज-गरज घन घोर।<br>राग अमर! अम्बर में भर निज रोर!<br><br>
झर झर झर निर्झर-गिरि-सर में,<br>घर, मरु, तरु-मर्मर, सागर में,<br>सरित-तड़ित-गति-चकित पवन में,<br>मन में, विजन-गहन-कानन में,<br>आनन-आनन में, रव घोर-कठोर-<br>राग अमर! अम्बर में भर निज रोर!<br><br>
अरे वर्ष के हर्ष!<br>बरस तू बरस-बरस रसधार!<br>पार ले चल तू मुझको, <br>बहा, दिखा मुझको भी निज<br>गर्जन-भैरव-संसार!<br><br>
उथल-पुथल कर हृदय-<br>मचा हलचल-<br>चल रे चल-<br>मेरे पागल बादल!<br><br>
धँसता दलदल<br>हँसता है नद खल्-खल्<br>बहता, कहता कुलकुल कलकल कलकल।<br><br>
देख-देख नाचता हृदय<br>बहने को महा विकल-बेकल,<br>इस मरोर से- इसी शोर से-<br>सघन घोर गुरु गहन रोर से<br>मुझे गगन का दिखा सघन वह छोर!<br>राग अमर! अम्बर में भर निज रोर! </PREbr><br>