भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक प्रश्न पीड़ा का / अवतार एनगिल

1,470 bytes added, 10:15, 16 सितम्बर 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एन...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल
}}
<poem>जलते मोम दीपों पर
टिके दो नेत्रों ने
मेरा आकार हर लिया
क्षण भर तो
अंधकार साकार कर दिया

इस गुफा को अंध-रत्ता क्यों है ?

कौन है धृतराष्ट्र ?
सुनती हो गांधारी !
भुने मांस की गंध का दर्द
तुम्हीं ने जिया है न ?

आत्महत्या की इस भट्टी में
चटकी हैं
एक जोड़ा आंखें

जानती हो गांधार पुत्री
कि इस गुफा के द्वार पर
श्रवणकुमार का अंधा पहरा था
पहचान न सकी तुम
अपनी पुष्ट मांसपेशियों पर
राख रचाए बैठे द्वारपाल को
संताप-दग्ध मानवीय मन....
धृतराष्ट्रों की सेनायें....
श्रवण रे ! गांधारी ओ !
तुम प्रश्नों के कैसे हल हो ?
</poem>
Mover, Uploader
2,672
edits