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बेबसी / रंजना भाटिया

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कहा उन्होंने चाँद तो ,
चांदनी बन मैं मुस्कराई
उनकी ज़िन्दगी में ....

कहा कभी उन्होंने सूरज तो
रोशनी सी उनकी ज़िन्दगी में
जगमगा कर छाई मैं ...

कभी कहा मुझे उन्होंने
अमृत की बहती धारा
तो बन के बरखा
जीवन को उनके भर आई मैं

पर जब मैंने माँगा
उनसे एक पल अपना
जिस में बुने ख़्वाबों को जी सकूँ मैं
तो जैसे सब कहीं थम के रुक गया ..
तब जाना....
मैंने कि ,
मेरे ईश्वर माने जाने वाले
ख़ुद कितने बेबस थे
जो जी नही सकते थे
कुछ पल सिर्फ़ अपने
अपनी ज़िन्दगी के लिए!!!
</poem>
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