भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
रात का-सा था अंधेरा,<br>
बदलों बादलों का था न डेरा,<br>
किन्तु फिर भी चन्द्र-तारों से हुआ था हीन अम्बर!<br>
स्वप्न था मेरा भयंकर!<br><br>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,637
edits