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बिन तुम्हारे / रंजना भाटिया

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|रचनाकार=रंजना भाटिया
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<poem>उड़ जाउं दूर कही आसमा में.
पंख फैलाए अपने साथ तुम्हारे,
देखे चाँद को छूकर ,बदलो पर चलकर..
और गोदी में भर लू सारे सितारे''

साथ सदाए हो खुदा की
ना कोई बंदिश हो ना ही हो कोई पहरा
और सामने रहे मेरे सिर्फ़ तुम्हारा चेहरा

देखती रहूं उसे में यूँ ही ,जब तक जब तक ना हो मौत का सवेरा
तेरी बाहों में मरने को इस मौसम में दिल चाहता है अब यह मेरा

गुलो से एह महका सा समा करता है क्या इशारे
अब कोई भी मेरे जीवन का दिन ना बीते बिन तुम्हारे
</poem>
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