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{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना भाटिया
|संग्रह=
}}
<poem>दे दो कुछ शब्द अपने प्यार के,
अपना विस्तार अब मुझे करना है

अपने आँसू चुनने को नही कहती अब तुझसे,
क्यूँकी अब मुझे सिर्फ़ हसंना और मचलना है

तेरी आँखो में मुझे दिखता है क्या.....?
तेरी बाहों में मुझे मिलता है क्या.......?
यही आ के तेरे कानो में मुझे कहना है
सच कहती हूँ बस..........
अब मुझे तुमसे प्यार, प्यार और प्यार ही करना है

दे दो कुछ शब्द अपने प्यार के....
अपना विस्तार अब मुझे करना है

नदिया मिले जा कर सागर में,
सागर चूमे साहिल को.......
तू है अब मेरा आकाश......
और तेरी ही धरती मुझे बनाना है

दे दो कुछ शब्द प्यार के
अपना विस्तार अब मुझे करना है
</poem>
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