भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
रूप की चाँदनी सोज़े-दिल<ref>दिल का दुख</ref> सोज़े-दिल
मौज़े-गंगो-जमन साज़े-जाँ<ref>जीवन राग</ref> साज़े-जाँ।
 
अहदो-पैमाँ कोई, हुस्न भी क्या करे
इश्क़ भी तो है कुछ बदगुमाँ-बदगुमाँ।
 
जैसे कौनैन<ref>विश्व</ref> के दिल प हो बोझ सा
इश्क़ से हुस्न है सरगराँ-सरगराँ।
क्यों फ़ज़ाओं की आँखों में थे अश्क़ से
वो सिधारे हैं जब शादमाँ-शादमाँ।
 
लब प आयी न वो बात ही हमनशीं<ref>साथी</ref>
आये क्या-क्या सुख़न दरम्याँ-दरम्याँ।
 
ढूँढते-ढूँढते ढूँढ लेंगे तुझे
गो निशा है तेरा बेनिशाँ-बेनिशाँ।
 
मेरे दारुल-अमाँ<ref>शान्ति की जगह</ref>, ऐ हरीमे-निगार<ref>महबूब के घर की चहरदीवारी </ref>
हम फिरें क्या युँही बेअमाँ-बेअमाँ।
 
यूँ घुलेगा-घुलेगा, तेरे इश्क़ में
रह गया इश्क़, अब उस्तुख़ाँ<ref>हड्डी</ref>-उस्तुखाँ।
 
हमको सुनना बहरहाल तेरी ख़बर
माजरा-माजरा, दास्ताँ-दास्ताँ।
 
{{KKMeaning}}
</poem>
157
edits