भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
*[[ क्यों किसी रहबर से पूछूँ अपनी मंज़िल का पता / आरज़ू लखनवी ]]
*[[ नैरंगियाँ चमन की तिलिस्मे-फ़रेब हैं / आरज़ू लखनवी ]]
*[[ दो घड़ी को दे दे कोई अपनी आँखों की जो नींद / आरज़ू लखनवी ]]