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जीवन में शेष विषाद रहा / हरिवंशराय बच्चन
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13:51, 26 सितम्बर 2009
जीवन में थे सुख के दिन भी,
जीवन में
थ्ो
थे
दुख के दिन भी,
पर, हाय, हुआ ऐसा कैसे, सुख भूल गया, दुख याद रहा!
जीवन में शेष विषाद रहा!
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