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युग-युग संचालित राह छोड़,
युग-युग संचित विश्वास ताड़तोड़!
मैं चला आज युग-युग सेवित,
होगी न हृदय में शांति व्यापकव्याप्त,
कर लेता जब तक नहीं प्राप्त,
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