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Kavita Kosh से
युग-युग बीते, मैं न घबराया;
भूलो मेरी विह्वलता को, निज लज्जा लज्जा का तो ध्यान ध्यान करो!
अब मत मेरा निर्माण करो!
इस चक्की चक्की पर खाते चक्करचक्कर
मेरा तन-मन-जीवन जर्जर,