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Kavita Kosh से
कोई गाता, मैं सो जाता!
संसृति के विस्तृत विस्तृत सागर पर
सपनों की नौका के अंदर
आँखों में भरकर प्यार प्यार अमर,
आशीष हथेली में भरकर
मेरे जीवन का हालाहल
कोई अपने स्वर स्वर में मधुमय कर बरसाता, मैं सो जाता!
कोई गाता मैं सो जाता!