भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
87 bytes added,
10:23, 30 सितम्बर 2009
'''आस्था -३'''{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=राजीव रंजन प्रसाद |संग्रह=}}{{KKCatKavita}}<br /poem> सपना ही तो टूटा है<br />मौत ही तो आई है मुझे<br />जी नहीं पाओगे तुम लेकिन<br />इतनी तो आस्था है तुम्हे<br />मुझपर..<br /poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader