Changes

{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
|संग्रह=आकुल अंतर / हरिवंशराय बच्चन
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
क्या है मेरी बारी में।
क्या है मेरी बारी में।<br>जिसे सींचना था मधुजल से<br>सींचा खारे पानी से,<br>नहीं उपजता कुछ भी ऐसी<br>विधि से जीवन-क्यारी में।<br>क्या है मेरी बारी में।<br>
आंसू-जल से सींच-सींचकर
बेलि विवश हो बोता हूं,
स्रष्टा का क्या अर्थ छिपा है
मेरी इस लाचारी में।
क्या है मेरी बारी में।
आंसू-जल से सींच-सींचकर<br>बेलि विवश हो बोता हूं,<br>स्रष्टा का क्या अर्थ छिपा है<br>मेरी इस लाचारी में।<br>क्या है मेरी बारी में।<br>  टूट पडे मधुऋतु मधुवन में<br>कल ही तो क्या मेरा है,<br>जीवन बीत गया सब मेरा<br>जीने की तैयारी में<br>|
क्या है मेरी बारी में
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits