गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
आओ, बैठे तरु के नीचे / हरिवंशराय बच्चन
3 bytes added
,
18:45, 3 अक्टूबर 2009
भाव भरा उर शब्द न आते,
पहँच
पहुँच
न इन तक आँसू पाते,
आओ, तृण से शुष्क धरा पर अर्थ रहित रेखाएँ खींचे!
आओ, बैठें तरु के नीचे!
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,423
edits