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गिरजे से घंटे की टन-टन / हरिवंशराय बच्चन
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19:00, 3 अक्टूबर 2009
मेरा मंदिर था, प्रतिमा थी,
मन में पूजा की महिमा थी,
किंतु निरभ्र गगने से गिरकर वज्र गया कर सबका
खंड़न
खडन
!
गिरजे से घंटे की टन-टन!
अनिल जनविजय
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