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प्रेम क्या किसी मृदूष्ण स्पर्श का भिखारी?
::प्रेम वो प्रपात
::गीत दिवारात
::गा रहा अशान्त
प्रेम आत्म-विस्मृत पर लक्ष्य-च्युत शिकारी ।
::प्रेम वह प्रसन्न
::खेत में निरन्न