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02:28, 6 अक्टूबर 2009 वह लकड़ी चीर रहा था<br />
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कई रातों तक
जंगल की नमी में रहने के बाद उसने फैसला किया था<br />
और वह चीर रहा था<br />
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उसकी आरी कई बार लकड़ी की नींद<br />
और जड़ों में भट्_क जाती थी<br />
कई बार एक चिड़िया के खोंते से<br />
टकरा जाती थी उसकी आरी<br />
<br />
उसे लकड़ी में<br />
गिलहरी के पूँछ की हरकत महसूस हो रही थी<br />
एक गुर्राहट थी<br />
एक बाघिन के बच्चे सो रहे थे लकड़ी के अंदर<br />
एक चिड़िया का दाना गायब हो गया था<br />
<br />
उसकी आरी हर बार<br />
चिड़िया के दाने को<br />
लकड़ी के कटते हुए रेशों से खींच कर<br />
बाहर लाती थी<br />
और दाना हर बार उसके दाँतों से छूट कर<br />
गायब हो जाता था<br />
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वह चीर रहा था<br />
और दुनियाँ<br />
दोनों तरफ़<br />
चिरे हुए पटरों की तरह गिरती जा रही थी<br />
<br />
दाना बाहर नहीं था<br />
इस लिये लकड़ी के अंदर ज़रूर कहीं होगा<br />
यह चिड़िया ला ख़्याल था<br />
<br />
वह चीर रहा था<br />
और चिड़िया खुद लकड़ी के अंदर<br />
कहीं थी<br />
और चीख रही थी।<br />