भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|रचनाकार= सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
}}
{{KKCatKavita}}
भारति, जय, विजय करे<br>
कनक - शस्य - कमल धरे!<br><br>