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02:26, 9 अक्टूबर 2009 पायनि नूपुर मंजु बजे, कटि किंकिनि की धुनि की मधुराई।<br />
साँवरे अंग लसे पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।<br />
माथे किरीट बड़े दृग चंचल, मंद हँसी मुख चंद जुन्हाई।<br />
जै जग मन्दिर दीपक सुन्दर, श्री ब्रज दूलह देव सहाई॥<br />