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02:45, 9 अक्टूबर 2009 देव मैं सीस बसायो सनेह के भाल मृगम्मद बिन्दु के भाख्यो।<br />
कंचुकी में चुपरयो करि चोवा लगाय लयो उर सो अभिलाख्यो।<br />
लै मख्तूल गुहै गहने रस मूरतिवन्त सिंगार कै चाख्यो।<br />
साँवरे स्याम को साँवरो रूप में नैननि में कजरा करि राख्यो॥<br />