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यक्ष प्रश्न / प्रताप सहगल

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|रचनाकार=प्रताप सहगल
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अंधेरा अन्धेरा जब अंधेरे अन्धेरे में ही लिपटा हो
और हमें सूर्य की कल्पना से भी
महरूम कर दिया जाए
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