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|संग्रह=न दैन्यं न पलायनम् / अटल बिहारी वाजपेयी
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विजय का पर्व!
जीवन संग्राम की काली घड़ियों में
क्षणिक पराजय के छोटे-छोट क्षण
अतीत के गौरव की स्वर्णिम गाथाओं के
पुण्य स्मरण मात्र से प्रकाशित होकर
विजयोन्मुख भविष्य का
पथ प्रशस्त करते हैं।
विजय का पर्व! <br>जीवन संग्राम की काली घड़ियों में<br>क्षणिक पराजय अमावस के छोटे-छोट क्षण<br>अभेद्य अंधकार का— अतीत के गौरव की स्वर्णिम गाथाओं के<br>अन्तकरण पुण्य पूर्णिमा का स्मरण मात्र से प्रकाशित होकर<br>विजयोन्मुख भविष्य का<br>कर पथ प्रशस्त करते हैं।<br><br>थर्रा उठता है।
अमावस सरिता की मँझधार में अपराजित पौरुष की संपूर्ण उमंगों के अभेद्य अंधकार का—<br>साथ अन्तकरण<br>जीवन की उत्ताल तरंगों से पूर्णिमा का स्मरण हँस-हँस कर<br>क्रीड़ा करने वाले नैराश्य के भीषण भँवर को कौतुक के साथ आलिंगन थर्रा उठता आनन्द देता है।<br><br>
सरिता की मँझधार में<br>पर्वतप्राय लहरियाँ अपराजित पौरुष की संपूर्ण<br>उसे उमंगों के साथ<br>जीवन की उत्ताल तरंगों से<br>हँस-हँस भयभीत नहीं कर क्रीड़ा करने वाले<br>नैराश्य के भीषण भँवर को<br>कौतुक के साथ आलिंगन<br>सकतीं आनन्द देता है।<br><br>उसे चिन्ता क्या है ?
पर्वतप्राय लहरियाँ<br>कुछ क्षण पूर्व ही तो उसे<br>वह स्वेच्छा से भयभीत नहीं कर सकतीं<br>कूल-कछार छोड़कर आया उसे चिन्ता भय क्या है ?<br><br>कुछ क्षण पश्चात् ही तो वह संघर्ष की सरिता पार कर वैभव के अमिट चरण-चिह्न अंकित करेगा।
कुछ क्षण पूर्व ही तो<br>हम अपना मस्तक वह स्वेच्छा से<br>आत्मगौरव के साथ कूल-कछार छोड़कर आया<br>तनिक ऊँचा उठाकर देखें उसे भय क्या है ?<br>कुछ क्षण पश्चात् ही तो<br>वह संघर्ष की सरिता<br>पार कर<br>विश्व के गगन मंडल पर वैभव हमारी कलित कीर्ति के अमिट चरण-चिह्न<br>अंकित करेगा।<br><br>असंख्य दीपक जल रहे हैं।
हम अपना मस्तक<br>आत्मगौरव के साथ<br>तनिक ऊँचा उठाकर देखें<br>विश्व युगों के गगन मंडल बज्र कठोर हृदय पर<br>हमारी कलित कीर्ति विजय के<br>स्तम्भ अंकित हैं। असंख्य दीपक जल रहे अनंत भूतकाल हमारी दिव्य विभा से अंकित हैं।<br><br>
युगों के बज्र कठोर हृदय पर<br>भावी की अगणित घड़ियाँ हमारी विजय के स्तम्भ अंकित हैं।<br>विजयमाला की अनंत भूतकाल<br>लड़ियाँ बनने की हमारी दिव्य विभा से अंकित प्रतीक्षा में मौन खड़ी हैं।<br><br>
भावी की अगणित घड़ियाँ<br>हमारी विजयमाला की<br>लड़ियाँ बनने की<br>प्रतीक्षा में मौन खड़ी हैं।<br><br> हमारी विश्वविदित विजयों का इतिहास<br>अधर्म पर धर्म की जयगाथाओं से बना है।<br>हमारे राष्ट्र जीवन की कहानी<br>
विशुद्ध राष्ट्रीयता की कहानी है।
</poem>
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