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खेतों में फैला है श्यामल
 
धूल भरा मैला-सा आँचल
 
गंगा जमुना में आंसू जल
 
मिट्टी कि प्रतिमा उदासिनी,
 
भारतमाता ग्रामवासिनी
 
दैन्य जड़ित अपलक नत चितवन
 
अधरों में चिर नीरव रोदन
 
युग-युग के तम से विषण्ण मन
 
वह अपने घर में प्रवासिनी,
 
भारतमाता ग्रामवासिनी
 
तीस कोटी संतान नग्न तन
 
अर्द्ध-क्षुभित, शोषित निरस्त्र जन
 
मूढ़, असभ्य, अशिक्षित, निर्धन
 
नतमस्तक तरुतल निवासिनी,
 
भारतमाता ग्रामवासिनी
 
स्वर्ण शस्य पर पद-तल-लुंठित
 
धरती-सा सहिष्णु मन कुंठित
 
क्रन्दन कम्पित अधर मौन स्मित
 
राहु ग्रसित शरदिंदु हासिनी,
 
भारतमाता ग्रामवासिनी
 
चिंतित भृकुटी क्षितिज तिमिरान्कित
 
नमित नयन नभ वाष्पाच्छादित
 
आनन श्री छाया शशि उपमित
 
ज्ञानमूढ़ गीता-प्रकाशिनी,
 
भारतमाता ग्रामवासिनी
 
सफ़ल आज उसका तप संयम
 
पिला अहिंसा स्तन्य सुधोपम
 
हरती जन-मन भय, भव तन भ्रम
 
जग जननी जीवन विकासिनी,
 
भारतमाता ग्रामवासिनी
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