Changes

जिनका हमारी बस्तियों में कारोबार है
गुब्बारा ग़ुब्बारा फट रहा है हवाओं के ज़ोर से
दुनिया को अपनी मौत का अब इन्तिज़ार है
किस रोशनी के शहर से गुज़रे हैं तेज़ रौंरौनीले समन्दरों पे सुनहरा गुबार ग़ुबार है
आई निदा वो उड़ते सितारे इधर मुझे
इन बदलियों के पीछे कोई कोहसार है
</poem>