{{KKRachna
|रचनाकार=सोहनलाल द्विवेदी
}} {{KKCatKavita}}<poem>भारत तू है हमको प्यारा,<br>तू है सब देशों से न्यारा।<br><br>
मुकुट हिमालय तेरा सुन्दर,<br>धोता तेरे चरण समुन्दर।<br><br>
गंगा यमुना की हैं धारा,<br>जिनसे है पवित्र जग सारा।<br><br>
अन्न फूल फल जल हैं प्यारे,<br>तुझमें रत्न जवाहर न्यारे!<br><br>
राम कृष्ण से अन्तर्यामी,<br>तेरे सभी पुत्र हैं नामी।<br><br>
हम सदैव तेरा गुण गायें,<br>सब विधि तेरा सुयश बढ़ायें। <br><br/poem>