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07:21, 19 अक्टूबर 2009 {{KKRachna
|रचनाकार=जाँ निसार अख़्तर
}}
{{KKPustak
|चित्र=Tanha_safar_ki_raat.jpg
|नाम=घर-आँगन (रुबाइयाँ)
|रचनाकार=[[जाँ निसार अख़्तर]]
|प्रकाशक=
|वर्ष= ---
|भाषा=हिन्दी
|विषय=--
|शैली=--
|पृष्ठ=
|ISBN=--
|विविध=--
}}
* [[वो आयेंगे चादर तो बिछा दूँ कोरी / जाँ निसार अख़्तर]]
* [[आहट मेरे कदमों की जो सुन पाई है / जाँ निसार अख़्तर]]
* [[दुनिया की उन्हें लाज न गैरत है सखी / जाँ निसार अख़्तर]]
* [[मन था भी तो लगता था पराया है सखी / जाँ निसार अख़्तर]]
* [[नाराज़ अगर हो तो बिगड़ लो मुझ पर / जाँ निसार अख़्तर]]
* [[वो शाम को घर लौट के आएँगे तो फिर / जाँ निसार अख़्तर]]
* [[डाली की तरह चाल लचक उठती है / जाँ निसार अख़्तर]]
* [[चाल और भी दिल-नशीन हो जाती है / जाँ निसार अख़्तर]]
* [[तू देश के महके हुए आँचल में पली / जाँ निसार अख़्तर]]
* [[सीने पे पड़ा हुआ ये दोहरा आँचल / जाँ निसार अख़्तर]]