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|संग्रह= कुरुक्षेत्र / रामधारी सिंह 'दिनकर'
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"कृष्ण कहते हैं, युद्ध अनघ है, किन्तु मेरे<br>
व्यंग से बिंधेगा वहाँ जर्जर हृदय तो नहीं,<br>
::वन में कहीं तो धर्मराज न कहाऊँगा।"<br><br>
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