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|संग्रह= कुरुक्षेत्र / रामधारी सिंह 'दिनकर'
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जो अखिल कल्याणमय है व्यक्ति तेरे प्राण में,<br>
"तप का परन्तु, वश चलता नहीं सदैव<br>
::पतित समूह की कुवृत्तियों के सामने।" <br><br>
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