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घड़ी दो घड़ी मुझको पलकों पे रख
यहाँ आते -आते ज़माने लगे
कभी बस्तियाँ दिल की यूँ भी बसीं
गुलों के जहाँ शामियाने लगे
पढाई -लिखाई का मौसम कहाँ
किताबों में ख़त आने-जाने लगे
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