भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दूसरा वनवास / कैफ़ी आज़मी

1,401 bytes removed, 16:13, 22 अक्टूबर 2009
|रचनाकार=कैफ़ी आज़मी
}}
राम बनवास से जब लौटके घर में आये {{KKPustak|चित्र=Dusravanvaas 2.jpg|नाम=दूसरा वनवास|रचनाकार=[[कैफ़ी आज़मी]]|प्रकाशक=डायमंड पाकेट बुक्स|वर्ष=2008|भाषा=हिन्दी|विषय= |शैली=|पृष्ठ=160|ISBN=81-288-0982-2|विविध=}}
याद जंगल बहुत आया जो नगर में आये  रक़्सेदीवानगी आँगन में जो देखा होगा  छह दिसंबर को श्रीराम ने सोचा होगा  इतने दीवाने कहाँ से मेरे घर में आये    जगमगाते थे जहाँ राम के क़दमों के निशां  प्यार की कहकशां लेती थी अँगडाई जहाँ  मोड़ नफ़रत के उसी राहगुज़र से आये    धर्म क्या उनका है क्या ज़ात है यह जानता कौन  घर न जलता तो उन्हें रात मे पहचानता कौन  घर जलाने को मेरा लोग जो घर में आये    शाकाहारी है मेरे दोस्त तुम्हारा ख़ंजर  तुमने बाबर की तरफ़ फेंके थे सारे पत्थर  है मेरे सर की ख़ता ज़ख़्म जो सर में आये    पाँव सरयू में अभी राम ने धोये भी न थे  कि नज़र आये वहाँ ख़ून के गहरे धब्बे  पाँव धोये बिना सरयू के किनारे से उठे  राजधानी की फ़िज़ा आयी नहीं रास मुझे  छह दिसंबर को मिला * [[दूसरा बनवास मुझे !वनवास / कैफ़ी आज़मी]]
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits