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धूप सा तन दीप सी मैं! <br><br>
== धूप सा तन दीप सी मैं! ==
धूप सा तन दीप सी मैं!,<br>
उड़ रहा नित एक सौरभ-धूम-लेखा में बिखर तन,<br>
खो रहा निज को अथक आलोक-सांसों में पिघल मन<br>
सघन घन का चल तुरंगम चक्र झंझा के बनाये,<br>
रश्मि विद्युत् विद्युत ले प्रलय-रथ पर भले तुम श्रान्त आये,<br>
पंथ में मृदु स्वेद-कण चुन,<br>
छांह से भर प्राण उन्मन,<br>