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|रचनाकार=नागार्जुन
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गीली भादों
रैन अमावस
गीली भादों<br>कैसे ये नीलम उजास केरैन अमावस<br><br>अच्छत छींट रहे जंगल मेंकितना अद्भुत योगदान हैइनका भी वर्षा–मंगल मेंलगता है ये ही जीतेंगेशक्ति प्रदर्शन के दंगल मेंलाख–लाख हैं, सौ हजार हैंकौन गिनेगा, बेशुमार हैंमिल–जुलकर दिप–दिप करते हैंकौन कहेगा, जल मरते हैं...जान भर रहे हैं जंगल में
कैसे जुगनू है ये नीलम उजास के<br>स्वयं प्रकाशीअच्छत छींट रहे जंगल में<br>पल–पल भास्वर पल–पल नाशीकितना कैसा अद्भुत योगदान है<br>इनका भी वर्षा–मंगल वर्षा मंगल में<br>लगता इनकी विजय सुनिश्चित ही है ये ही जीतेंगे<br>शक्ति प्रदर्शन के तिमिर तीर्थ वाले दंगल में<br>लाख–लाख हैं, सौ हजार हैं<br>कौन गिनेगा, बेशुमार हैं<br>मिल–जुलकर दिप–दिप करते हैं<br>इन्हें न तुम 'बेचारे' कहनाकौन कहेगा, जल मरते अजी यही तो ज्योति–कीट हैं...<br>जान भर रहे हैं जंगल में<br><br>
जुगनू है ये स्वयं प्रकाशी<br>पल–पल भास्वर पल–पल नाशी<br>कैसा अद्भुत योगदान है<br>इनका भी वर्षा मंगल में<br>इनकी विजय सुनिश्चित ही है<br>तिमिर तीर्थ वाले दंगल में<br>इन्हें न तुम 'बेचारे' कहना<br>अजी यही तो ज्योति–कीट हैं<br>जान भर रहे हैं जंगल में<br><br> गीली भादों<br>रैन अमावस <br><br/poem>
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