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Kavita Kosh से
फिर एक बार बस एक बार!
जिन पलकों में तारे अमोल
आँसू से करते हैं किलोल,
जिन आँखों का नीरव अतीत
कहता ’मिटना है मधुर जीत’;
उस चिन्तित चितवन में विहास