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आँसू की माला / महादेवी वर्मा

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आशा के आवाहन में
बीते की चित्रपटी में।
 
उन थकी हुई सोती सी
ज्योतिष्ना की पलकों में,
बिखरी उलझी हिलती सी
मलयानिल की अलकों में;
रजनी के अभिसारों में
ऊषा के उपहासों में
मुस्काती सी लहरों में।
 
उन थकी हुई सोती सी
ज्योत्सना की मृदु पलकों में,
बिखरी उलझी हिलती सी
मलयानिल की अलकों में;
 
जो बिखर पड़े निर्जन में
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