आशा के आवाहन में
बीते की चित्रपटी में।
उन थकी हुई सोती सी
ज्योतिष्ना की पलकों में,
बिखरी उलझी हिलती सी
मलयानिल की अलकों में;
रजनी के अभिसारों में
ऊषा के उपहासों में
मुस्काती सी लहरों में।
उन थकी हुई सोती सी
ज्योत्सना की मृदु पलकों में,
बिखरी उलझी हिलती सी
मलयानिल की अलकों में;
जो बिखर पड़े निर्जन में