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अयाचित /अनामिका

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<poem>
मेरे भंडार में
एक बोरा ‘अगला जनम’
‘पिछला जनम’ सात कार्टन
रख गई थी मेरी माँ।
मेरे भंडार में<br>चूहे बहुत चटोरे थेएक बोरा ‘अगला जनम’<br>घुनों को पता ही नहीं था‘पिछला जनम’ सात कार्टन<br>कुनबा सीमित रखने का नुस्खारख गई थी मेरी माँ।<br><br>... सो, सबों ने मिल-बाँटकरमेरा भविष्य तीन चौथाईऔर अतीत आधामज़े से हज़म कर लिया।
चूहे बहुत चटोरे थे<br>बाक़ी जो बचाघुनों को पता ही नहीं था<br>उसे बीन-फटककर मैंनेकुनबा सीमित रखने का नुस्खा<br>सब उधार चुकता किया... सो, सबों ने मिलहारी-बाँटकर<br>बीमारी निकालीमेरा भविष्य तीन चौथाई<br>और अतीत आधा<br>मज़े से हज़म कर लिया।<br><br>लेन-देन निबटा दिया।
बाक़ी जो बचा<br>उसे बीन-फटककर मैंने<br>सब उधार चुकता किया<br>हारी-बीमारी निकाली<br>लेन-देन निबटा दिया।<br><br> अब मेरे पास भला क्या है ?<br>अगर तुम्हें ऐसा लगता है<br>कुछ है जो मेरी इन हड्डियों में है अब तक<br>मसलन कि आग<br>तो आओ<br>अपनी लुकाठी सुलगाओ।<br><br/poem>
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