भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आरती युगलकिशोर की कीजै / आरती

5 bytes removed, 14:47, 26 अक्टूबर 2009
{{KKGlobal}}
{{KKBhaktiKavyaKKAarti
|रचनाकार=
}}<poem>
आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन न्यौछावर कीजै॥टेक॥
गौरश्याम मुख निरखत लीजै। हरि का स्वरूप नयन भरि पीजै॥