भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKRachna
|रचनाकार=तुलसीदास
}}{{KKCatKavita}}<poem>
राघौ गीध गोद करि लीन्हौ।
नयन सरोज सनेह सलिल सुचि मनहुँ अरघ जल दीन्हौं॥
तुलसी प्रभु झूठे जीवन लगि समय न धोखो लैहौं।
जाको नाम मरत मुनि दुर्लभ तुमहि कहाँ पुनि पैहौं॥
</poem>