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अल्हड़ बीकानेरी / काका हाथरसी

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|संग्रह=यार सप्तक / काका हाथरसी
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{{KKCatKavita}}<poem>अल्हड़ जी का स्वर मधुर, गोरा-चिट्टा चाम।<br>‘श्यामलाल’ क्यों रख दिया, घरवालों ने नाम।<br>घर वालों ने नाम, ‘शकीला’ पीटे ताली।<br>हमको दे दो, मूँगफली वाली कव्वाली।<br>इसे मंच पर गाने में जो होगी इनकम।<br>
आधी तुम ले लेना, आधी ले लेंगे हम।
</poem>
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