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सिगरेट समीक्षा / काका हाथरसी

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|संग्रह=जय बोलो बेईमान की / काका हाथरसी
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मिस्टर भैंसानंद का फूल रहा था पेट,
पीते थे दिन-रात में, दस पैकिट सिगरेट।
दस पैकिट सिगरेट डाक्टर गोयल आए
दिया लैक्चर तंबाकू के दोष बताए।
‘कैंसर हो जाता ज्यादा सिगरेट पीने से,
फिर तो मरना ही अच्छा लगता, जीने से।’
मिस्टर भैंसानंद का फूल रहा था पेट, <br>पीते थे दिन-रात में, दस पैकिट सिगरेट।<br>दस पैकिट सिगरेट डाक्टर गोयल आए <br>दिया लैक्चर तंबाकू के दोष बताए। <br>‘कैंसर हो जाता ज्यादा सिगरेट पीने से,<br>फिर तो मरना ही अच्छा लगता, जीने से।’<br><br> बोले भैंसानंद जी, लेकर एक डकार, <br>आप व्यर्थ ही हो रहे, परेशान सरकार। <br>परेशान सरकार, तर्क है रीता-थोता, <br>सिगरेटों में तंबाकू दस प्रतिशत होता। <br>बाकी नव्वै प्रतिशत लीद भरी जाती है,<br>
इसीलिए तो जल्दी मौत नहीं आती है।
</poem>
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