भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|संग्रह=अकेले कंठ की पुकार / अजित कुमार
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
भीगा आकाश,
 
बूँदें,
 
पेड़ नम,
 
रात के अँधेरे में
 
नभ अदृष्ट ।
 
गीली धरती भी चुप,
 
मौन दिशा ।
 
दीवारें तम की
 
सब ओर घिरीं ।
 
 
किन्तु वह सितारा :
 
वह नन्ही-सी ज्योतिमान धारा:
 
वह तारा…
 
वह चमके ही जाता है,
 
बूँदों, अँधियारों के,
 
मौन के प्रहारों के
 
विरुद्ध ।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits