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मन अजंता / अभिज्ञात

16 bytes added, 17:26, 4 नवम्बर 2009
|रचनाकार=अभिज्ञात
}}
{{KKCatKavita}}<poem>किस तरह हमसे निभेंगे
ये नियम, चौरास्तों के
हम तुम्हारी याद में
मन अजन्ता ने कभी
पाया नहीं संन्यास है
 
</poem>
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